थक गया हूँ बहुत...आज सोता हूँ मैं

आज मुझे सो लेने दो,
दिन भर का थका हुआ हूँ;
नींद में ही सही रो लेने दो।।

जब उसका कोई सहारा ना था,
वो किसी का भी इतना दुलारा ना था;
तब सहारा दिया था उसे एक दिन।।

उसके आँसू गिरे जब भी, रोया हूँ मैं,
उसकी हर आह पर एक आवाज की;
उसको जीने की हर पल नसीहत भी दी।।

आज खुश है वही और रोता हूँ मैं,
उसको चिन्ता नहीं एक पल के लिये;
अपने आँसू से पत्थर भिगोता हूँ मैं।।

गम की दुनिया में गम के ही साये मिले,
दोसत जितने भी ढूँढे पराये मिले,
एक मुद्दत से हूँ राह पर मैं खड़ा;
लोग जितने भी देखे,सताये मिले।।

गम नहीं रीत है ये ही संसार की,
क्षुद्रता है यही स्वार्थ व्यापार की,
किन्तु फिर भी तिमिर को सँजोता हूँ मैं;
थक गया हूँ बहुत,आज सोता हूँ मैं।।

Comments

  1. थक गया हूँ बहुत,आज सोता हूँ मैं।

    --ऐसा न सो जाना कि लिखना ही बंद कर दो!!
    अच्छा लिख रहे हो, ठंडे पानी से मुंह धो लो, जागे रहो और लिखते रहो, शुभकामना.!! :)

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  2. सही है जी, ब्लॉगिंग में बग लग गया अब रुकना नहीं चाहिए नहीं तो 'बग' का नाम बदनाम हो जाएगा। :)

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  3. "आज खुश है वही और रोता हूँ मैं,
    उसको चिन्ता नहीं एक पल के लिये;
    अपने आँसू से पत्थर भिगोता हूँ मैं।।" बहुत सुंदर भाव…हृदय विदारक कविता…छू के निकल गई।

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  4. awesome work tiwariji..ham to fida ho gaye hain aapki kavitaon par...bade hi dil se likhi hui lag rahi hai ye kavita.Jaane kyun ise padh k hame laga ki kahin na kahin ye hamare baare mein soch kar aapne likhi hai............agar hamne kabhi aapke saath jaane anjaane mein kuch kiya ho aisa to ham kshama maangte hain!!!Padhne k baad ye vishwaas nahi ho raha tha ki ye aapne 5 min mein likh di thi...hats off to u tiwariji!!!!

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  5. मैं आप सब का आभारी हूँ इन अमूल्य प्रतिक्रियाओं के लिये, आप सब के द्वारा इतने उत्साहवर्धन के लिये धन्यवाद। आशा है भविष्य में इससे भी उत्तम रचनायें लिखने में समर्थ हो सकूँ।

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  6. @ Neha ji(Anonymous)...
    thanx for the sincere compliments, is kavita me nishchay hi aapse juda kucch ansh hai...aisa pratham drishtya prateet hota hai...lekin this is not based on you...so you don't need to be sorry for anything.

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  7. आज खुश है वही और रोता हूँ मैं,
    उसको चिन्ता नहीं एक पल के लिये;
    अपने आँसू से पत्थर भिगोता हूँ मैं।।

    ह्रदय को छू लेने वाले भाव है भाई ....बधाई

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  8. beautiful, nitin!!! this has a touch of divinity. beautiful!!!

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