हम हम हैं...
हम हम हैं,
इस बात में दम हैं,
क्लास हम नहीं जाते तो फिर करते क्या हैं?
लाइब्रेरी को आज भी हमारा इन्तजार है।
प्रोफ़ेसर हमारी एक झलक देखने को बेकरार है।।
और हम, हम इतने बड़े मक्कार हैं,
24 घन्टे हमें इस सड़ेले से ओरकुट का बुखार है।।
पहले हमें होम सिकनेस ने सताया था,
अब घर से दूरियों ने बहकाया है,
हमने ज़माने में सबसे प्यार किया,
पर जिससे भी इजहार किया,
उसने हमें रुलाया है।।
अन्दर से हम स्वीट ऐन्ड सोफ़्ट हैं,
बट बाहर से थोड़े टेक्निकल फ़ाल्ट लगते हैं,
अजी छोड़िये भी यह सब तो केवल बातें हैं,
हम लड़कियों को मिस इण्डिया कहते नहीं थकते,
उन्हें हम सेल का माल नज़र आते हैं।।
सारी जिन्दगी हमें हमारी गलतफ़हमियों ने बहकाया,
हमने ह्यूमर लाया तो लोगों ने हमको मामू बनाया है,
हम भारत की मिट्टी की अनुपम खोज हैं,
लोग कहते नहीं थकते हम धरती का बोझ हैं।।
बट अब जो हैं सो हैं,
हमारी सोच सबसे अलग है तो क्या हुआ,
वो तो हम मानवता के मनु नहीं बने,
वरना मनु अकेला जिन्दा बचा था,और कुछ जानवर भी बचाये थे,
हम तो खुद से क्या उम्मीद रखें,उन जानवरों को भी डुबाते।
अब तो गली के कुत्ते हम पर भौंकने से भी इनकार करते है,
हमारे हाथों से मच्छर भी नहीं मरते हैं।।
यहाँ तक ही होता तो भी गनीमत थी,
भगवान ने तो हमें सीरियसली लेना ही बन्द कर दिया है,
कल ही किसी ने ऐश की हमसे बात चलयी,
और रात को ही ऐश अभिषेक की सगाई हो गयी,
दिल ने किसी और का नाम लेकर धड़कना शुरु किया,
तो उसको भी हममें एक भाई ही नज़र आया।।
हम मानवता की मशाल के बुझे हुए अवतार है,
हम भारत की बूढ़ी आँखों की आखिरी होप हैं,
और युवा भारत की पहली पीढ़ी के कन्ज्यूमेबल आइटम,
बस बस अब और नहीं लिख सकता,
कयोंकि मेरे पास शब्द नही बचे,
शब्द कहीं गुम गये हैं हमारे स्पेयर पार्टस की तरह।।
जब ये वापस मिलेंगे तब शायद फिर लिखूँ।
फ़िलहाल तो ऐसे ही हैं हम।।
इस बात में दम हैं,
क्लास हम नहीं जाते तो फिर करते क्या हैं?
लाइब्रेरी को आज भी हमारा इन्तजार है।
प्रोफ़ेसर हमारी एक झलक देखने को बेकरार है।।
और हम, हम इतने बड़े मक्कार हैं,
24 घन्टे हमें इस सड़ेले से ओरकुट का बुखार है।।
पहले हमें होम सिकनेस ने सताया था,
अब घर से दूरियों ने बहकाया है,
हमने ज़माने में सबसे प्यार किया,
पर जिससे भी इजहार किया,
उसने हमें रुलाया है।।
अन्दर से हम स्वीट ऐन्ड सोफ़्ट हैं,
बट बाहर से थोड़े टेक्निकल फ़ाल्ट लगते हैं,
अजी छोड़िये भी यह सब तो केवल बातें हैं,
हम लड़कियों को मिस इण्डिया कहते नहीं थकते,
उन्हें हम सेल का माल नज़र आते हैं।।
सारी जिन्दगी हमें हमारी गलतफ़हमियों ने बहकाया,
हमने ह्यूमर लाया तो लोगों ने हमको मामू बनाया है,
हम भारत की मिट्टी की अनुपम खोज हैं,
लोग कहते नहीं थकते हम धरती का बोझ हैं।।
बट अब जो हैं सो हैं,
हमारी सोच सबसे अलग है तो क्या हुआ,
वो तो हम मानवता के मनु नहीं बने,
वरना मनु अकेला जिन्दा बचा था,और कुछ जानवर भी बचाये थे,
हम तो खुद से क्या उम्मीद रखें,उन जानवरों को भी डुबाते।
अब तो गली के कुत्ते हम पर भौंकने से भी इनकार करते है,
हमारे हाथों से मच्छर भी नहीं मरते हैं।।
यहाँ तक ही होता तो भी गनीमत थी,
भगवान ने तो हमें सीरियसली लेना ही बन्द कर दिया है,
कल ही किसी ने ऐश की हमसे बात चलयी,
और रात को ही ऐश अभिषेक की सगाई हो गयी,
दिल ने किसी और का नाम लेकर धड़कना शुरु किया,
तो उसको भी हममें एक भाई ही नज़र आया।।
हम मानवता की मशाल के बुझे हुए अवतार है,
हम भारत की बूढ़ी आँखों की आखिरी होप हैं,
और युवा भारत की पहली पीढ़ी के कन्ज्यूमेबल आइटम,
बस बस अब और नहीं लिख सकता,
कयोंकि मेरे पास शब्द नही बचे,
शब्द कहीं गुम गये हैं हमारे स्पेयर पार्टस की तरह।।
जब ये वापस मिलेंगे तब शायद फिर लिखूँ।
फ़िलहाल तो ऐसे ही हैं हम।।
vaah bhaiye aapne to kamal kar diya
ReplyDeletejay ho....
हम, हम हैं
ReplyDeleteकिसीसे कहाँ कम हैं,
बस एक बार अगर ठान लें तो,
कविता ठोकने का भी दम है.
बहुत बढ़िया आदित्य भाई। मानना पड़ेगा कि आपमें वाक़ई "दम" है। :)
ReplyDeletechaap rahe ho bhai.
ReplyDeletesaari kavitayen padhi
bahut achchhi hain
phodh diya!
ReplyDeleteawesome!
हम हम हैं इस बात मैं दम है|
ReplyDeleteहम सबसे अलग हैं ये बात कहां कम है ||
well done aadee...