रात गई, बात गई, सपनों से इक मुलाकात गई, तारों की इक बारात गई, और चाँदनी उनके साथ गई। जो चली गई, वो चली गई, आई है अब ये सुबह नई, ये सुबह नई आनन्दमयी, उठ जाग मुसाफ़िर, भोर भई।।
आंग्लभाषा भी है, फ्रेंचभाषा भी है, रूसीभाषा भी है, चीनीभाषा भी है, भाषा सब हैं, मगर मात्र हैं; मात्र भाषा नहीं, मातृभाषा है हिन्दी।। प्रेम माता सा कोई भी दूजा नहीं, मातृसेवा से बढ़कर है पूजा नहीं, मातृभाषा की उन्नति का निश्चय करो; ज्ञान के साथ संस्कृति का संचय करो।।