चुलबुली लड़की
जब हँसती है, अपनी हँसी से सारा जग हरसाती है। इक चुलबुली लड़की। जब वो रोती है, मुझको भी संग में रुलाती है। इक चुलबुली लड़की। जब मुझसे बातें करती है, लगता है बस इसकी बातों में बस जाऊँ। जब वो उलझे बाल सँवारे, मैं कंघी बनकर के बालों में फ़ँस जाऊँ। लेकिन मैं मजबूर बहुत हूँ, सच्चाई से दूर बहुत हूँ। जिस चुलबुली लड़की ने मेरा दिल भरमाया है, वो मेरी कल्पना है, निरी माया है। पर अपनी इस कल्पना के साथ मैंने जी है जिन्दगी, औरों के लिये रहस्य, लेकिन मेरी यही है जिन्दगी।