थक गया हूँ बहुत...आज सोता हूँ मैं
आज मुझे सो लेने दो, दिन भर का थका हुआ हूँ; नींद में ही सही रो लेने दो।। जब उसका कोई सहारा ना था, वो किसी का भी इतना दुलारा ना था; तब सहारा दिया था उसे एक दिन।। उसके आँसू गिरे जब भी, रोया हूँ मैं, उसकी हर आह पर एक आवाज की; उसको जीने की हर पल नसीहत भी दी।। आज खुश है वही और रोता हूँ मैं, उसको चिन्ता नहीं एक पल के लिये; अपने आँसू से पत्थर भिगोता हूँ मैं।। गम की दुनिया में गम के ही साये मिले, दोसत जितने भी ढूँढे पराये मिले, एक मुद्दत से हूँ राह पर मैं खड़ा; लोग जितने भी देखे,सताये मिले।। गम नहीं रीत है ये ही संसार की, क्षुद्रता है यही स्वार्थ व्यापार की, किन्तु फिर भी तिमिर को सँजोता हूँ मैं; थक गया हूँ बहुत,आज सोता हूँ मैं।।